सागरेश्वर मुक्ति धाम का हो कायाकल्पः जिला प्रशासन दे ध्यान मुक्ति धाम पहुुंच मार्ग सुदृण कराया जाये



उमरिया। जिला मुख्यालय के सागरेश्वर मंदिर के पास मुक्ति धाम पूर्व से बना हुआ है जहां पर नगर के कैम्प, सुभाषगंज, झिरिया मोहल्ला, विकटगंज, धावडा काॅलोनी आदि स्थानों से लोगों द्वारा पार्थिक शरीर को अंतिम संस्कार हेतु उक्त स्थल पर ले जाया जाता है जहां शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। लेकिन मुक्ति धाम मे समुचित व्यवस्था न होने से जनमानस को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। बुद्धजीवियों का कहना है कि कोरोना महामारी का प्रकोप दिनो दिन बढता ही चला जा रहा है और शासन प्रशासन इसे रोकने के लिये भरकस प्रयास मे लगे हुये है। लेकिन कोरोना महामारी के पाॅजीटिव केसो पर जो बाडियां शासन प्रशासन के हाथो मुक्ति धाम मे ले जाया जाता है वहां पर समुचित व्यवस्था न होने के कारण दाह संस्कार करने मे काफी परेशानी का सामना करना पडता है क्योकि कोरोना से मृत व्यक्ति को शासन प्रशासन के द्वारा किसी भी समय दिन एवं रात्रि मे उक्त स्थल पर ले जाना पडता है जहां पर कोई सुविधा न होने से इन्हे भी यह कार्य करने मे नागवार गुजरता है।  

हो रही परेशानी

यदि प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो आवश्यक ही उक्त स्थल भी लालपुर मुक्ति धाम जैसा स्वच्छ एवं सुन्दर बन जाये, क्योकि सागरेश्वर मुक्ति धाम फारेस्ट के अंतर्गत है। लेकिन मुक्ति धाम मे चारो तरफ घनी झाडियो के चलते वहां पर लोगो को अग्नि संस्कार करने मे काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है यदि जिला प्रशासन चाहे तो एक समिति बनाकर मुक्ति धाम को सुरक्षित एवं सुसज्जित करा सकती है। जिसमे पेयजल व्यवस्था, लाइटिंग व्यवस्था, शेड व्यवस्था इसके साथ साथ लोगो को धूप एवं बारिश से बचने के लिये के एक धर्मशाला का निर्माण कराया जाये। जिसमे लोग वहां पर दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजली भी अर्पित कर सके साथ ही सागरेश्वर मुक्ति धाम मे एक चैकीदार के साथ लकडी संग्रह का स्थल भी बनाया जाये। जिससे लोगो को अंतिम संस्कार करने के लिये लकडी की व्यवस्था उपलब्ध हो जाये। 

जिला प्रशासन करे पहल

जिला प्रशासन चाहे तो नगरपालिका व स्वयं के फण्ड से यह कार्य कराये या तो नगर के बुद्ध जीवियो व सामाजिक कार्यकर्ता की एक समिति बनाये और पूरा दायित्व उनको सौपे, ताकि नगर के जितने भी मुक्तिधाम स्थल है वे सर्वसुविधायुक्त हो और नगरवासियों को अपने परिजनो को अंतिम संस्कार करने के लिये किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पडे। देखा जा रहा है कि सागरेश्वर मुक्ति धाम जाने के लिये पगडंडी का सहारा लेना पडता है जहां पर धूलरहित व चारो तरफ पेड पौधो एवं झाडी झनकाडी होने से अंतिम संस्कार के लिये जाने वालो के हाथ पैरो के साथ वस्त्र भी फट जाते है और लोगो के मुंह से आह निकल पडती है कि काश इस स्थल को भी जिला प्रशासन, नपा प्रशासन व नगर के बुद्धजीवियो के द्वारा तनिक भी इस ओर ध्यान दे दिया जाये तो यह स्थल भी सुंदर एवं सुसज्जित हो जायेगा, लेकिन सागरेश्वर मुक्ति धाम को समुचित व्यवस्था देने मे प्रशासन कुम्भकर्णी निंद्रा मे सोया हुआ है। नगरवासियों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उक्त सागेश्वर मुक्ति धाम के साथ ही अन्य मुक्ति धामो की भी समुचित व्यवस्था करायें।